मेरा मानना है सनातन इतिहास में कहीं भी जाती प्रथा का उल्लेख नहीं मिलता, योग्य व्यक्ति को योग्यता के आधार पर स्थान, कार्य कुशलता ऑर उस कार्य में पारंगत होना ये ही गुण साथ में व्यक्ति का चरित्र, उच्चपद पर बैठने वाले व्यक्ति का विद्वान होना ज़रूरी होता था।
ये माप दंड होते थे किसी पद पर बैठने के लिए , जाति नहीं , जाति शब्द ही हिंदू नहीं है , कुल , या गोत्र , कुल का भी जाति से कोई सम्बन्ध नहीं है।
आचार्य चाणक्य को आततायी नंद की जगह किसे राजा बनाना चाहिए तो आचार्यजी ने पहले उस व्यक्ति के लक्षण, फिर, योग्यता, कुशलता, बुद्धि, विवेक, शौर्य, नीतिमत्ता, इन मापदंडों पे खरा उतरने वाले चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी का उत्तराधिकारी चुना। जातिगत आधार नहीं योग्यता का आधार, इसी आधार पर ये देश हज़ारों वर्षों से ज़िंदा है। योग्यता ये स्वाभाविक गुण होता है, मेरा मानना है योग्य व्यक्ति कितनी ही कठिन समय, परिस्थिति को अपनी सूझ बुझ ओर सही फ़ैसलों से पलट देता है ओर समाज के आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
वहीं अयोग्य व्यक्ति जो कितने ही बड़े परिवार का क्यू ना हो अच्छे कामों को बिगाड़ कर रख देता है ऑर लोगों की निन्दा ऑर मज़ाक़ का पात्र बन जाता है, सनातन काल में राजपूत्रो को जंगलों में बने गुरुकुल में जाकर महल की चकाचौंध से दूर आम बच्चों की तरह शिक्षा लेनी पड़ती थी, प्रभु श्री राम इसी गुरुकुल की शिक्षा पद्धति से तैयार किये गये एक शिष्य जो आगे जा कर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बने। हज़ारों वर्षों के बाद भी उन की कीर्ति का लोग गुण गान करते है, कृष्ण ऑर सुदामा की मित्रता में कहीं भी जाती का उल्लेख नहीं है।
मेरा मानना है की जाति व्यवस्था ये अंग्रेजो का एक बोहत बड़ा षड्यंत्र है ,जो हिंदू धर्म की तमाम खूबियों को ढँकने, नष्ट करने के लिए अंग्रेजो द्वारा गढ़ा गया पूर्ण रूप से झूठा इतिहास हिंदू धर्म पर चिपका दिया गया था।
अंग्रेज जिन्होंने जहाँ जहाँ राज किया वहीं वर्ण (colour) के नाम पर भेद किया, गोरे काले का भेद ये पूरे युरोप अमेरिका समेत सभी देशों में रहा, लाखों अफ़्रीकन, भारतीय, लोगों को बंधक बना कर ऐसा कौनसा अत्याचार है जो इन्होंने नहीं किया, लाखों श्यामवर्ण (काले) लोगों की हत्या का पाप कर्म इन गोरों ने किया। सब से ज़्यादा जातिगत युद्ध ऑर क़त्लेआम इन अंग्रेजो ने किया, सामूहिक हत्या के तौर तरीक़े इन्होंने ईजाद कर आधी दुनिया पे इन्होंने राज किया, सिर्फ़ काले होने के नाते से मानव होने के सारे अधिकार इन्होंने निरस्त कर दिए।
जब हिंदुस्तान पे राज करने की बारी आयी वोहि षड्यंत्र कर के जितनी भी योद्धा समूह थे उन्हें अंग्रेजो ने जातियों में बाँट दिया, विभाजित कर दिए।
नए नए झूठे इतिहास गढ़े गए, बंदूक़ो ऑर शराब के बल पर राज करने के लिए ज़रूरी था जिनपे राज करना है उन्हें कभी एक ना होने देना, हिंदुस्तान में कभी भी बोहत पारम्परिक सेना नहीं रही लोग खेती करते थे ओर अलग अलग काम या कारीगरी कर अपनी आजीविका चलाते थे।
अंग्रेजो ने उनही कामों के आधार ले कर जातियों का एक नया और उन के लिए फ़ाईदे का ऐसा नया समूह रचना शुरू कर दिया, इंसान को उस के या उन के माँ बाप द्वारा आजीविका के लिए चलाए जा रहे उद्योग को ही जाति का दर्जा दे दिया, कोई कुम्हार, सुनार, लोहार, पढ़ाने वाले को ब्राह्मण, यहाँ से शुरू होता है इस देश के लिए सब से घातक ऑर सिर्फ़ अंग्रेज राज्य कर्ताओं के लिए सब से अच्छा ऑर उनके अनुरूप चलने वाला जाति विभाजन का खेल, मनुष्य से मनुष्य को अलग करने वाला षड्यंत्र !
भारत में जाति का ज़हर इसी लिए भी नहीं था क्यूँ की हमारी परम्परा में उत्तम खेती, मधयम व्यापार ऑर निकृष्ट चाकरी थी ज़िस में योग्यता कुशलता प्रथम थी। अंग्रेजो ने इसे कर दिया उत्तम चाकरी, मध्यम व्यापार ऑर निकृष्ट खेती, सरकारी अधिकारियों को आतंक मचाने के लिए इतना शक्तिशाली बना दिया की लोग सरकारी नौकरियों के लिए तरसने लगे ऑर अंग्रेज उन्हें यही पर एक नयी जाति के आधार पर नौकरियाँ बाँटने लगे ऑर असंतोष फैलाने लगे।
योद्धा समूहों के सच्चे झूठे इतिहास रचे जाने लगे अपने समूह पर दूसरे समूह ने कैसे कैसे अत्याचार किए ईस की शिक्षा दिया जाने लगा। गोरे काले की नीति अब आपस में समूहों का जातियों में विभाजन फिर जातियों में संघर्ष को ये अंग्रेज हवा देने लगे। नुक़सान हमारा ऑर फाईदा सिर्फ़ अंग्रेजो का। भारतीयों का सीधापन अंग्रेजो के २०० वर्षों तक हम पे राज करने का कारण बना।
किसी देश को कमजोर करना है तो सब से पहले उस की आस्था को नष्ट करो। उपहास करो ग़रीबी अज्ञानता की वजह से पैदा हुई कुछ कुरीतियो का प्रचार करना ऑर फिर लालच दे कर उन का धर्म ईमान को ख़रीदना। ये व्यापारी ऑर सभ्यताओं को नष्ट करने वाले अत्याचारी अंग्रेजो के राज करने की नीति का एक अभिन्न अंग था
मेरा मानना है जातियों के आधार रख कर हिंदुत्व को कोसने वाले अज्ञानी ऑर उन विदेशी विधर्मियो के एजेंट हे जो अंग्रेजो को इस देश पे राज करवाने के लिए उन के लिए काम कर रहे हे।
महात्मा गांधी जी को दक्षिण अफ़्रीका में एक अंग्रेज ने धक्का मार कर उतार दिया था क्यूँ की वो काले थे। यानी श्याम वर्ण के थे। ये भारत की घटना नहीं है। ज़िस मनुस्मृति का उल्लेख कर हिंदू धर्म, ब्राह्मण, हिंदू देवी देवताओं को गाली देने का जैसे लाइसेन्स मिल जाता है। वो अंग्रेज प्रायोजित धर्म को श्रेष्ठ बताते है जो मतवलंबियों ने लाखों निरपराध ग़रीबों की रंग के आधार पर अत्याचार ऑर हत्याये की है।
मनुस्मृति में जीन ४ वर्ण का उल्लेख है ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, ऑर शूद्र ये चार मनुष्य के विचारो का प्रतीक है। कोई अनपढ़ गरीब का बेटा रात में रास्ते की लाइट के नीचे बैठ कर पढ़ता है ऑर योग्य बनता है। किसी मिल मज़दूर का बेटा छोटी मोटी चीजें बेचता है ऑर एक दिन बडा उद्योगपति बंजाता है। उसे कोई सिखाता नहीं है। किसी गरीब का बेटा अन्याय के ख़िलाफ़ जब तलवार उठा लेता है ऑर फिर उस तलवार के ज़ोर पर सत्ता ऑर धन अर्जित करता है। वो क्षत्रिय का पिंड होता है। ऑर बड़ा से बड़ा ज्ञानी जब पाप करने लगता है या नीच कर्म पर उतारू हो जाता है, उसे क्षुद्र की श्रेणी में रखा है। सब सोच की बात है हंस मोती ऑर कौवा गंदगी ढूँढता है। हिंदू धर्म ये कर्म ऑर ज्ञान का आदर करने वाला धर्म है। यहाँ गोरे , काले, ऊँच, नीच, का भेद नहीं होता है जाती बनाना वो भी मनुष्य में अंतर करने के लिए, जातियो में भेद की वजह से देश के टुकड़े तक हो गए।
अंग्रेजो से आज़ादी मिलने के बाद नेहरू गांधी परिवार और कॉम्युनिस्ट् इतिहासकारों ने ईसे और हवा दी, पाकिस्तान ये मुस्लिम राष्ट्र बना, बड़ी संख्या में हिंदू यहाँ थे। उन पे राज करने के लिए ईसी फ़ोरमूले को आगे बढ़ाया जाने लगा , जिसका हर चुनाव में कोंग्रेस को फ़ाईदा होने लगा ऑर सरकारी तंत्र, सिक्षा, नौकरीयो में जातियों का बोलबाला होने लगा , अगड़े पिछड़े के नाम पर जाती संघर्ष, फिर कॉम्युनिस्ट लेखकों, पत्रकारों का इन घटनाओं का ज़हर भरा प्रचार देश से विदेश तक में ईस जाती संघर्ष के लिए हिंदुत्व को ज़िम्मेदार ठहराना ऑर अपने आप को पुरोगामी सीध करना इस लेख के मध्यम से मेरे विचारो का हिंदुत्व ममता आधारित समता, योग्यता, प्रकृति कि पूजा करने वाला वेज्ञानिक आधार का स्वागत करने वाला बदलावों को स्वीकार करने वाला मानव मूल्यों का आदर करने वाला , भेद रहित कर्म को धर्म मानने वाला हिंदू धर्म , मुझे गर्व है में हिंदू हूँ !!
बहुत कुछ है लिखने को जो आगामी समय में लिखता रहूँगा तब तक के लिए यही समाप्त करता हूँ ।
धन्यवाद !