चारो तरफ फैला सन्नाटा रोना न हो
चलो वहां चले, जहां कोरोना न हो
गुजरना क्या कर्फ्यू के रास्तो से
इस तरह मंजिलो को पाना न हो
संकटकालीन दौर, दमघोटू लकडाउन
सबसे हो फासला ऐसा जीना न हो
घुट घुट कर मरें सरेआम आदमी
ऐसा भी मौत को गले लगाना न हो
बेचैन, बेहाल, हैरान, और बेगार
भूंखा हो दिहाड़ी, ऐसा कोई कोना न हो
चारो तरफ फैला सन्नाटा रोना न हो
चलो वहां चले, जहां कोरोना न हो