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कोरोना त्रासदी: महापापी का साथ देने की सजा भुगत रही है दुनिया

by नरोत्तम मिश्रा (ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ)
May 12, 2020
कोरोना त्रासदी: महापापी का साथ देने की सजा भुगत रही है दुनिया, Article, KonexioNetwork.com

आज पूरी दुनिया घातक कोरोना वायरस के महासंकट से जूझ रही है. यह कड़वी सच्चाई है कि पापी का साथ देना भी पाप है. यह बात हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी सहित सभी धर्मों में कही गई है. यही नहीं भारत रत्न बाबासाहेब अंबेडकर ने भी यही अहम बात भारतीय संविधान में भी लिखी है अर्थात मुजरिम (पापी) का साथ देना भी जुर्म (पाप) है.

अब आप सोच रहे होंगे कि हमने कौनसे पापी का कब साथ दिया था? हम सब ने दुनिया के महापापी चाइना का साथ दिया और वह भी लंबे समय तक.

कैसे? यह बात सभी जानते हैं कि चाइनीज हर तरह के छोटे-बड़े पशु-पक्षी और कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतुओं को मारते हैं यानी उनकी हत्या करते हैं और इंसान को छोड़ अन्य सभी जीव-जंतुओं की हत्या का यह महापाप वे वर्षों से करते आ रहे हैं.

वैसे तो हर देश या धर्म में ऐसे लोग हैं, जो किसी  किसी जानवर को मार (हत्या) कर उसे खाते हैं, लेकिन अन्य देशों के लोग कुछ जीव- जंतुओं को ही मारते है, सभी को नहीं. इसके विपरीत चाइनीज तो  हर पशु-पक्षी को मारकर खा जाते हैं. यानी उनमें कोई दया भावना नहीं है. यही राक्षसी प्रवृत्ति है. संभवत: राक्षस भी सारे पशु-पक्षियों को नहीं मारते थे. इसका मतलब चाइनीज तो पाप करने में राक्षसों से भी आगे हैं.

अब आप सोचेंगे कि महापापी तो चाइनीज हैं, फिर उनके पाप की देन ‘‘कोरोना वायरस” की सजा हमें क्यों मिल रही है? वह इसलिए कि हम सभी ने, भारत और दुनिया के तमाम देशों ने इन्हीं महापापी चाइनीज के हत्यारे हाथों से बनी वस्तुओं का उपभोग कई वर्षों तक किया है और अभी भी कर भी रहे हैं.

 यानी हम सब उनकी बनाई हुई वस्तुएं खरीद कर उन्हें आर्थिक रूप से शक्तिशाली बना रहे थे. जिससे उनका घमंड बढ़ता गया और वे मुनाफा कमाते हुए शक्तिशाली होते गए और पाप पर पाप करते गए. उनके ‘पाप का घड़ा’ किसी न किसी दिन तो फूटना ही था, जो अब फूट गया है. ऐसे पापियों का साथ दे कर, प्रोत्साहित करके उनके पाप में हम सब भागीदार बनते गए. इसकी सजा एक ना एक दिन भुगतनी थी और वही सजा ‘कोरोना त्रासदी’ के रूप में पूरी दुनिया को मिल रही है.

 यह भी सच्चाई है कि जो देश जितना ज्यादा चाइनीज उत्पादों को खरीदता था, उपभोग करता था. उस देश में कोराना का प्रकोप उतना ही ज्यादा है. कोराना महामारी से कौनसे देश बच पाए हैं, जो दूरदराज के छोटे-छोटे टापू देश है. इन देशों का चाइना से कोई खास व्यापार नहीं था अर्थात वे चायनीज उत्पादों का उपयोग नहीं करते थे. इसलिए उनको कुदरत ने इनके पाप में भागीदार नहीं बनाया.

हम भारतीयों के लिए भी यह एक बड़ी चेतावनी

कोरोना संकट पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा सबक है. कुदरत ने हमें संदेश दिया है कि हम सब पाप करने से बचें और पाप करने वाले का साथ कभी ना दे. नहीं तो इसे भी बड़ा संकट और बड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी.

 हम भारतीयों के लिए भी यह एक बड़ी चेतावनी है. हमारे देशभक्त व्यापारी भाई पहले जब-जब चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्वदेशी अपनाने का अभियान चलाते थे तो कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी और लालची व्यापारी उनका यह कहकर मजाक उड़ाते थे कि चाइनीज उत्पाद सस्ते आते हैं जबकि भारतीय व्यापारी महंगा बेचकर लूटते हैं. और ऐसे कुछ तर्क देकर उनका अभियान फ्लॉप करवा देते थे. अब हमने कई वर्षों में सस्ता घटिया चाइनीज माल खरीद कर जितना पैसा कमाया, वह सब इस संकट में एक ही झटके में साफ हो गया है. और कितना नुकसान होगा, इसका तो अंदाजा ही नहीं है.

 देशभक्ति और स्वदेशी का जज्बा होना जरूरी

आज हम चाइना से क्या आयात करते हैं? कोई भी जीवनावश्यक वस्तु चाइना से नहीं मंगाते हैं. ना अनाज और और ना तेल. यही दो चीज आवश्यक है. हम चाइना से प्लास्टिक उत्पाद, इलेक्ट्रिक उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, कपड़े, केमिकल, स्टील इस तरह के सभी इंडस्ट्रियल उत्पादों का भारी मात्रा में आयात करते हैं. क्या यह सब वस्तुएं अपने देश में नहीं बना सकते है. अवश्य बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए देशभक्ति का और स्वदेशी अपनाने का जज्बा होना चाहिए.

यदि इन सब वस्तुओं का हम अपने देश में ही उत्पादन करें तो चाइना से निर्भरता खत्म हो जाएगी और अपने ही देश में लाखों भारतीयों को रोजगार भी मिलेंगे. देश की तरक्की भी होगी. इसलिए भविष्य में ऐसे किसी दूसरे संकट से बचने के लिए हर भारतीय को चाइनीज वस्तुओं का बायकाट करना होगा और स्वदेशी वस्तुओं का अपनाने का प्रण करना होगा. तभी हम आर्थिक रूप से चाइना से भी ज्यादा मजबूत हो सकते हैं और इस तरह की त्रासदी से भी बच पाएंगे.

पुण्य जनों का साथ देने से मिलते हैं अच्छे फल

श्रीमद् भागवत पुराण के चतुर्थ स्कंद के अध्याय 7 में भी यह बात कही गई है कि पापी का साथ देने वाले को भी सजा भुगतनी पड़ती है. (राजा दक्ष की कथा).
इसके अलावा महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है, जिसमें पापी दुर्योधन का साथ देने के कारण निर्दोष होते हुए भी कईयों को सजा मिली. वही रामायण में बताया गया है कि सच्चाई और धर्म का साथ देने से अच्छे फल प्राप्त होते हैं. जैसे विभीषण को भगवान राम का साथ देने पर लंका का राज सिंहासन प्राप्त हुआ.

 -जय हिंद