कश्ती के मुसाफिर ने कभी समंदर नही देखा
बहुत दिनों से हमनें कोई सिकंदर नहीं देखा
दिखते है रूप रुपया राज के कदरदान सभी
बहुत दिनों से हमने कोई कलंदर नहीं देखा
लड़ना है जिंदगी से हर दिन हर पल क्योंकि
हवाओ से भी जले चिराग वो मंजर नही देखा
हर गुरुर को अपने जद में रखना है हरपल
कि हमनें नदीं तालाबों का बवन्डर नही देखा
गौने के बाद मुंडेरो पर दाना पानी नही रहा
फिर पंछियों ने उस जैसा पयम्बर नही देखा
उसी को कहते रहे, बदचलन , बे ताब से हम
अंजन अरसा हुआ दिल के अन्दर नही देखा
क़लंदर = जो दीन ओ दुनिया से अलग हो
पयम्बर- अवतार , बद चलन= चरित्रहीन, अशिष्ट, दुराचारी ,बे ताब= उतावला, असहाय, बेचैन , अन्दर= भीतर
बद तर= अधिक बुरा, घटिया