"कुछ ख्वाहिशों का बोझ खुद से कम करते है,
कुछ उलझनों को फिर से उन्हीं के हाल छोड़कर,
जहां रास्ता बचा ही नहीं वहां फिर पूरी शिद्दत से एक रास्ता खोजते है।
चलो जिंदगी के साथ चलकर फिर से एक बार मुस्कुराते है
कुछ बीज उम्मीदों के अभी भी बाकि है बंजर जमीं के नीचे,
नाउम्मीदो की राख हटाकर फिर एक बार उन्हें उगाते है।
चलो जिंदगी के साथ चलकर फिर से एक बार मुस्कुराते है
सब कुछ अब तक किया बेगानी दुनिया को अपना बनाने के लिए,
चलो अब खुद से खुद के रिश्ते को पहले निभाते है।
चलो जिंदगी के साथ चलकर फिर से एक बार मुस्कुराते है
हर तरफ का तमाशा देखकर दिल हममें सिमटकर खूब रोया,
अब हर तमाशे से ऊपर इस दिल को खूब हंसाते है।
चलो जिंदगी के साथ चलकर फिर से एक बार मुस्कुराते है
चाहत अभी तक किसी और के प्यार की थी...
खुद के लिए वो ना हो सका तो क्या गम है
उस गम को छोड़कर अब खुद से बंदगी निभाते है।
चलो जिंदगी के साथ चलकर फिर से एक बार मुस्कुराते है...."